भारत का लक्ष्य 2030 तक 2 ट्रिलियन डॉलर के निर्यात को हासिल करना है। इस लक्ष्य की दिशा में देश का विभिन्न क्षेत्रों और क्षेत्रीय समूहों के साथ व्यापार महामारी के बाद के समय में उल्लेखनीय रूप से बेहतर हुआ है। एक नई रिपोर्ट में बुधवार को यह बात सामने आई। पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (PHDCCI) ने महामारी से पहले के तीन वर्षों (FY 2018-2020) और महामारी के बाद के तीन वर्षों (FY 2022-24) के बीच तुलना कर भारत के प्रमुख क्षेत्रों और क्षेत्रीय समूहों के साथ व्यापार प्रदर्शन का विश्लेषण किया।
रिपोर्ट के अनुसार, महामारी के बाद के वर्षों में देश का व्यापार आठ क्षेत्रों और क्षेत्रीय समूहों के साथ अनुकूल रहा, जबकि महामारी से पहले यह संख्या छह थी।
पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के अध्यक्ष संजीव अग्रवाल ने कहा कि सरकार द्वारा उठाए गए सक्रिय और प्रभावी उपायों तथा नीतिगत सुधारों ने निर्यात को सुगम बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इनमें लॉजिस्टिक्स में सुधार, निर्यात बुनियादी ढांचे में भारी निवेश, अप्रत्यक्ष कर प्रणाली का सरलीकरण, सिंगल विंडो क्लियरेंस और कम मानव हस्तक्षेप शामिल हैं, जिससे भारत के विदेशी व्यापार की दिशा में एक उल्लेखनीय प्रगति हुई है।
कुल 19 क्षेत्रों और क्षेत्रीय समूहों का विश्लेषण किया गया। महामारी के बाद के समय में उत्तरी अमेरिका, दक्षिण एशिया, यूरोपीय देश (ईयू), अन्य यूरोपीय देश, पूर्वी अफ्रीका, उत्तरी अफ्रीका, मध्य एशियाई क्षेत्र और मध्य अफ्रीका जैसे आठ क्षेत्रों और क्षेत्रीय समूहों में व्यापार अधिशेष देखा गया।
महामारी से पहले उत्तरी अमेरिका, दक्षिण एशिया, अन्य यूरोपीय देश, पूर्वी अफ्रीका, उत्तरी अफ्रीका और मध्य अफ्रीका के साथ व्यापार होता था।
अग्रवाल ने जोर देकर कहा, “विशेष रूप से, यूरोपीय देशों और मध्य एशियाई देशों ने महामारी से पहले के वर्षों में व्यापार घाटे से उबरते हुए महामारी के बाद के वर्षों में व्यापार अधिशेष प्राप्त किया है, जो यह दर्शाता है कि भारत विश्व के प्रमुख निर्यातकों में से एक बनने की क्षमता रखता है।”
महामारी के बाद के वर्षों में देश का निर्यात प्रदर्शन उल्लेखनीय रूप से सशक्त रहा है। वर्ष 2022-23 में 776 बिलियन डॉलर और 2023-24 में 778 बिलियन डॉलर का निर्यात उच्चतम स्तर पर था।
कुल व्यापार घाटे में भी उल्लेखनीय सुधार हुआ है, जो 2018-19 में 95.8 बिलियन डॉलर से घटकर 2023-24 में 78.1 बिलियन डॉलर हो गया है।
महामारी के बाद के वर्षों में पश्चिम अफ्रीका, अन्य दक्षिण अफ्रीकी देश, दक्षिण अफ्रीका कस्टम यूनियन (SACU) और लैटिन अमेरिका के साथ व्यापार घाटा भी कम हो गया है।
रिपोर्ट ने सुझाव दिया है कि व्यापार की लागत को और कम करने पर ध्यान दिया जाए, जिसमें पूंजी, बिजली, लॉजिस्टिक्स, भूमि/भूमि की उपलब्धता, श्रम/कुशल श्रम की उपलब्धता और अनुपालन लागत शामिल हैं, ताकि वैश्विक बाजारों में विनिर्माण की प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ाया जा सके।