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वोडाफोन आइडिया लिमिटेड की तिमाही बिक्री में मामूली बढ़त, लेकिन घाटा बरकरार

वोडाफोन आइडिया लिमिटेड, जो टेलीकम्यूनिकेशन्स क्षेत्र में एक प्रमुख मिड-कैप कंपनी है, ने जून 2024 की समाप्ति तिमाही के अपने वित्तीय परिणाम जारी किए। इस तिमाही में कंपनी की संगठित बिक्री में मामूली बढ़ोतरी दर्ज की गई, लेकिन टैक्स के बाद का शुद्ध घाटा अब भी बना हुआ है।

बिक्री में मामूली बढ़त

कंपनी की रिपोर्ट के अनुसार, 30 जून 2024 को समाप्त तिमाही में वोडाफोन आइडिया की संगठित बिक्री 10,764.60 करोड़ रुपये रही, जो पिछली तिमाही की 10,639.30 करोड़ रुपये की बिक्री से 1.18% अधिक है। इसके साथ ही, कंपनी ने पिछले साल की इसी तिमाही की तुलना में भी 0.82% की वृद्धि दर्ज की है, जब उसकी बिक्री 10,676.80 करोड़ रुपये थी।

भारी घाटा

हालांकि, कंपनी के टैक्स पश्चात शुद्ध घाटे की स्थिति में सुधार नहीं दिखा। नवीनतम तिमाही में वोडाफोन आइडिया ने 6,432.20 करोड़ रुपये का शुद्ध घाटा दर्ज किया। यह आंकड़ा कंपनी की वित्तीय स्थिति को लेकर चिंताजनक संकेत देता है, क्योंकि घाटे के चलते इसे अपने प्रतिस्पर्धियों के साथ मुकाबला करने में कठिनाई हो रही है।

कंपनी की स्थिति और चुनौतियां

वोडाफोन आइडिया का वित्तीय प्रदर्शन हाल के वर्षों में लगातार दबाव में रहा है। भारतीय टेलीकॉम क्षेत्र में जियो जैसी कंपनियों से कड़ी प्रतिस्पर्धा के बीच, वोडाफोन आइडिया को बाजार हिस्सेदारी बनाए रखने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है। इसके अलावा, कंपनी पर भारी कर्ज का बोझ और बढ़ती लागत भी उसकी वित्तीय चुनौतियों को बढ़ा रहे हैं।

भविष्य की संभावनाएं

वोडाफोन आइडिया अपने ग्राहकों की संख्या में बढ़ोतरी और सेवाओं में सुधार के प्रयास कर रही है। हालांकि, कंपनी की वित्तीय स्थिति को स्थिर करने के लिए उसे अपने घाटे को नियंत्रित करना होगा और नई रणनीतियों को लागू करना होगा

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पेनी स्टॉक में जबरदस्त उछाल: 115 दिनों से अपर सर्किट, निवेशक बेचने को तैयार नहीं

शेयर बाजार में आपने कई बार मल्टीबैगर रिटर्न देने वाले स्टॉक्स की कहानियां सुनी होंगी, लेकिन कुछ पेनी स्टॉक्स ऐसे भी होते हैं, जो खुद का इतिहास रच देते हैं। ऐसे ही एक स्टॉक ने पिछले एक साल में निवेशकों को चौंका देने वाला 53,000% रिटर्न दिया है, जो एक असाधारण मामला है।

यह स्टॉक है Sri Adhikari Brothers Television Network Ltd., जिसके शेयर पिछले 115 दिनों से लगातार अपर सर्किट लगा रहे हैं। इस स्टॉक में पिछले कई महीनों से कोई भी विक्रेता नहीं मिला है, जो इसे बेचना चाहता हो। शुक्रवार को यह स्टॉक 2% की बढ़त के साथ 690.95 रुपए के स्तर पर बंद हुआ। 3 अप्रैल 2024 से 13 सितंबर 2024 तक, इस स्टॉक ने 115 बार अपर सर्किट का सामना किया है। बाजार विशेषज्ञों का मानना है कि यह सिलसिला आगे भी जारी रह सकता है, क्योंकि मौजूदा निवेशक इसे बेचने को तैयार नहीं हैं।

अपर सर्किट लिमिट में बदलाव

इस स्टॉक में लगातार अपर सर्किट लगने की वजह से इसकी अपर सर्किट लिमिट में भी बदलाव किया गया। शुरुआत में इसकी अपर सर्किट लिमिट 5% थी, लेकिन लगातार अपर सर्किट लगने के बाद, मई 2024 में इसे एक्सचेंज द्वारा 2% की कैटेगरी में डाल दिया गया।

निगरानी में रखा गया स्टॉक

लगातार अपर सर्किट के कारण, एक्सचेंज ने इस स्टॉक को अपनी निगरानी में लिया और जून 2024 में इसे सर्विलांस के अंतर्गत रखा गया। हालांकि, अब तक इस स्टॉक में किसी संदिग्ध गतिविधि की खबर नहीं मिली है। इसे ESM स्टेज 2 (एनहांस्ड सर्विलांस मेजर्स) के अंतर्गत रखा गया, जिसका उद्देश्य इस स्टॉक पर नज़र रखना और संभावित जोखिमों का आकलन करना था।

एनहांस्ड सर्विलांस मेजर्स क्या है?

एनहांस्ड सर्विलांस मेजर्स (ईएसएम) एक नियामक ढांचा है, जिसे भारत में नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) द्वारा शुरू किया गया है। इसका मुख्य उद्देश्य निवेशकों के हितों की रक्षा करना और मार्केट की विश्वसनीयता को बनाए रखना है। इसके तहत, लिस्टेड कंपनियों की निगरानी और सर्विलांस को मजबूत किया जाता है, ताकि शेयर बाजार में किसी भी प्रकार की अनियमितता या गड़बड़ी से निवेशकों को बचाया जा सके।

श्री अधिकारी ब्रदर्स टेलीविजन नेटवर्क का यह स्टॉक फिलहाल निवेशकों के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है। इसने जिस तरह से पिछले एक साल में रिकॉर्ड तोड़ रिटर्न दिया है, वह निवेशकों के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है।

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8वें वेतन आयोग से क्या बदलेगा? जानें सैलरी में कितना होगा इजाफा

सरकारी कर्मचारियों के लिए जल्द ही 8वें वेतन आयोग की घोषणा हो सकती है, जिससे उनके वेतन में महत्वपूर्ण बढ़ोतरी की उम्मीद जताई जा रही है। कर्मचारियों को इससे पहले मिले छठे और सातवें वेतन आयोग से इस बार और बेहतर बदलाव की संभावना है। इस नए आयोग से वेतन में कितनी वृद्धि होगी और किन-किन लाभों की पेशकश की जाएगी, इसे लेकर चर्चाएं तेज हैं।

सरकारी कर्मचारियों की शिकायतें और वेतनमान सुधार

सरकारी कर्मचारी लंबे समय से शिकायत कर रहे हैं कि बढ़ती महंगाई के साथ उनका वर्तमान वेतन उनकी जरूरतों को पूरा नहीं कर पा रहा है। इस समस्या को ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार और वेतन आयोग ने कई सिफारिशें दी हैं, जो सरकारी कर्मचारियों के वेतनमान में सुधार की दिशा में अहम कदम साबित हो सकती हैं। पहला वेतन आयोग 1946 में गठित किया गया था, लेकिन तब से लेकर अब तक किसी भी आयोग से कर्मचारी पूरी तरह संतुष्ट नहीं दिखे। हर बार कर्मचारियों ने आयोगों की आलोचना की है। इस बार 8वें वेतन आयोग में सरकार ने कुछ अहम बदलाव करने की योजना बनाई है, जिससे कर्मचारियों को अधिक लाभ मिल सके।

छठे वेतन आयोग के मुख्य बिंदु

छठे वेतन आयोग का गठन जुलाई 2006 में हुआ था, और इसे अगस्त 2008 में मंजूरी मिली। इस आयोग के तहत न्यूनतम मूल वेतन 7,000 रुपये तय किया गया था। शुरू में फिटमेंट फैक्टर 1.74 रखा गया था, जिसे बाद में बढ़ाकर 1.86 किया गया। यह वेतनमान 1 जनवरी 2006 से लागू हुआ, जबकि भत्तों का लाभ 1 सितंबर 2008 से कर्मचारियों को दिया गया। इसके अलावा, महंगाई भत्ते (DA) में 16% से 22% की वृद्धि की गई थी, जिससे कर्मचारियों को वित्तीय रूप से काफी राहत मिली थी।

7वें वेतन आयोग की विशेषताएं

7वें वेतन आयोग की स्थापना 28 फरवरी 2014 को हुई, और इसे 1 जनवरी 2016 से लागू किया गया। इस बार न्यूनतम मूल वेतन 18,000 रुपये रखा गया, जिसमें फिटमेंट फैक्टर 2.57 था। इस आयोग के तहत कर्मचारियों के वेतन में 11,000 रुपये की बढ़ोतरी की गई थी।

8वें वेतन आयोग से कर्मचारियों को क्या उम्मीदें हैं?

माना जा रहा है कि 8वां वेतन आयोग 2026 से लागू हो जाएगा। हालांकि, केंद्र सरकार ने अभी तक इस पर कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की है। विशेषज्ञों का कहना है कि इस बार न्यूनतम मूल वेतन में 20% से 35% तक की वृद्धि हो सकती है। यानी, लेवल 1 के कर्मचारियों का वेतन 34,560 रुपये तक बढ़ सकता है, जबकि लेवल 18 के कर्मचारियों के वेतन में 4.8 लाख रुपये तक की वृद्धि हो सकती है।

इसके अलावा, सरकार पेंशनभोगियों के लिए भी आकर्षक योजनाएं ला सकती है और कई भत्तों में भी वृद्धि की जा सकती है। बताया जा रहा है कि इस बार फिटमेंट फैक्टर को 1.92 रखा जा सकता है, जिससे कर्मचारियों को बेहतर लाभ मिलने की संभावना है।

8वें वेतन आयोग से उम्मीदें काफी बढ़ी हुई हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि सरकार किस प्रकार से इन सुधारों को लागू करती है और कर्मचारियों की बढ़ती मांगों को किस हद तक पूरा करती है।